क्या खुद से बातें करना मानसिक बीमारी की निशानी है?

जब कभी किसी भी चीज़ को लेकर नर्वस हों तो खुद से बाते करें. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ऐसे वक्त में खुद से बात कर के हम खुद से वो डर और नर्वसनेस निकालने में कामयाब होते हैं
जब कभी किसी भी चीज़ को लेकर नर्वस हों तो खुद से बाते करें. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ऐसे वक्त में खुद से बात कर के हम खुद से वो डर और नर्वसनेस निकालने में कामयाब होते हैं
- News18Hindi
- Last Updated: August 24, 2019, 10:51 AM IST
अमेरिकी मनोचिकित्सक डॉ. लौरा एफ.डाबनी का मानना है कि यह बिल्कुल नॉर्मल है. खुद से बात करने की आदत मानसिक बीमारी या एबनॉर्मलिटी की निशानी नहीं है.
सच तो ये है कि हम सब खुद से बाते करते हैं. जब हम सार्वजनिक तौर पर खुद से ज़ोर-ज़ोर से बाते करने लगते हैं तब अजीब लग सकता है. लेकिन हम मन ही मन अपने आप से बाते किया करते हैं.
अब उदाहरण के लिए ही ले लीजिए. जब आप रोज़ सुबह घर से निकलते हैं तो क्या खुद से नहीं पूछते कि आपने सारे ज़रूरी सामान जैसे चाबी, कोट, बैग, लंच आदि रख लिया है या नहीं. वहीं जब ऑफिस से घर आ रहे होते हैं तो क्या ऑफिस में बॉस की चिकचिक याद करके खुद से बाते नहीं करते?
खुद से बात करने के होते हैं फायदे
– खुद से बात करने की आदत हेल्दी होने के साथ ही साथ मददगार भी होती हैं. अपने बुरे वक्त में हम सबसे ज़्यादा खुद से बाते करते हैं. खुद को मोटिवेट करते हैं.
– रोज़ की समस्याओं से निपटने के लिए करें खुद से बातें- जब कभी किसी भी चीज़ को लेकर नर्वस हों तो खुद से बाते करें. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ऐसे वक्त में खुद से बात कर के हम खुद से वो डर और नर्वसनेस निकालने में कामयाब होते हैं.
– खुद से बात करने की आदत है भी तो परेशान होने की कोई बात नहीं. बल्कि इससे आपका तनाव कम होता है.
क्या खुद से बाते करने में खतरे की भी कोई गुंजाइश है?
गुंजाइश तो हो सकती है. कुछ मामलों में लोग पागल हो जाते हैं. लेकिन ऐसा कम होता है. ऐसे लोग खुद से बातें कर के खुद को ही हानि पहुंचाते हैं.
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First published: August 24, 2019, 10:51 AM IST