प्रेग्नेंसी के दौरान योग करना कितना सही?

गर्भावस्था के दौरान योग करने से आमतौर पर इस दौरान होने वाली समस्याओं जैसे चक्कर आना, उल्टी आना, कब्ज आदि से बचा जा सकता है
गर्भावस्था के दौरान योग करने से आमतौर पर इस दौरान होने वाली समस्याओं जैसे चक्कर आना, उल्टी आना, कब्ज आदि से बचा जा सकता है.
पहले तीन महीने
फीटस यानी भ्रूण अभी विकसित ही हो रहा होता है और गर्भपात का खतरा भी सबसे अधिक अभी ही रहता है. इसलिए शुरुआती तीन महीनों में अनुभवी और गैर अनुभवी योगी दोनों को ही केवल हल्का-हल्का अभ्यास करना चाहिए. उदाहरण के तौर पर कंथा और स्कंधा संचालन (यानी की धीरे-धीरे अपने गर्दन और कंधे को गोल-गोल घुमाना), पूर्ण स्कंधा संचालन (यानी पूर्ण रूप से कंधों को गोल-गोल घुमाना), अपनी एड़ियों को गोल घुमाना. अगर इन सभी योग में से कुछ न कर पाएं तो आप सबसे आसान उज्जयी प्रणायाम और नाड़ी शोधन कर सकते हैं. इसे 10 मिनट तक रोज कर सकते हैं. प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में हार्मोन रिलैक्सिन मांसपेशियों, जोड़ों और कनेक्टिव टिश्यू को रिलैक्स और शिथिल करने के लिए प्रोड्यूस होते हैं. इस दौरान बेहतर हो कि कुछ हिप ओपनर्स जैसे बाध कोनसाणा (तितली पोज़) और कैट-काउ पोज़ (मार्जारी आसन-बीतिलीआसन) करें.
- उष्ट्रासन और सेतुबंधासन कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि इसे करते वक्त शरीर पर ज़्यादा ज़ोर न दें
- शीर्षासन और सर्वांगासन जैसे आसन बिल्कुल भी न करें
- कूदने जैसी कोई प्रक्रिया और मत्सयेंद्रासना जैसे आसन भी न करें
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दूसरी तिमाही
- बाध कोनसाणा (तितली पोज़), कैट-काउ पोज़ (मार्जारी आसन-बीतिलीआसन), मंडुकासन प्रैक्टिस करें
- पसचिमोत्तानासन (आगे की ओर झुकते हुए), अधो मुख सवासना (डाउनवर्ड फेसिंग डॉग), शिशु आसन या बालासना (चाइल्ड पोज) जैसे फॉरवर्ड मोड़ का भी अभ्यास किया जाना चाहिए.
- इस दौरान ताड़ासन, त्रिकोणासन, वीरभद्रासन 2 जैसे स्थायी मुद्राएं भी फायदेमंद हैं
- तनाव वाले या पेट (एब्डोमिनल)पर दवाब डालने वाले पोज़ जैसे नवासना (बोट पोज़) प्लैंक पोज़ से बचें
- पीठ के बल लेटने से बचें. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके वेना कावा (यानी की वह नस जो पैरों से हृदय तक रक्त लौटाती है ) और यूट्रस तक ब्लड फ्लो को रोकती है. इससे आपको चक्कर और सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है.
- शवासन करें
तीसरी तिमाही
- कूल्हे और छाती को खोलने वाले, बॉडी को संतुलित करने वाले, रिलैक्स करने वाले आसन करें.
- दूसरी तिमाही में बताए गए आसन को यहां दोहराया जा सकता है. इसमें मेडिटेशन (ध्यान) और प्राणायाम (उज्जायी, नदी शोदन, भ्रामरी) शामिल करें.
- पीठ के बल न लेटें. इसके इतर किनारे की तरफ शरीर कर के सोएं
- उलटा, रीढ़ की हड्डी, और पेट (एब्डोमिनल) वाले योगासनों से बचें
गर्भावस्था के दौरान योग करने के लाभ
- यह गर्भावस्था के दौरान होने वाली असुविधाओं जैसे मूड स्विंग, सांस लेने में तकलीफ और टखनों में सूजन को कम करता है
- लेबर पेन के लिए शरीर को तैयार करता है
- मां की बच्चे के साथ बॉन्डिंग मजबूत करता है
नोट- प्रेग्नेंसी के दौरान किसी योगा ट्रेनर के अंडर ही योग करें.